Monday 2 December 2013

आम आदमी के उम्मीदों कि पार्टी

अन्ना हज़ारे के जनलोकपाल के बाद जनसमर्थन से अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी बनाई। क्योंकि  अरविंद को आभास हो गया था कि आंदोलन और भूख हड़ताल से कुछ भी होने वाला नहीं हैं ,भ्रष्टाचार मिटने के लिए सिस्टम के अंदर जाकर ,भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाना बहुत जरुरी हो गया हैं ,इसमें केजरीवाल का साथ दिया मध्यम व  युवा वर्ग ने ,जिनके समर्थन से अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी का निर्माण किया। उनका मकसद जाति आधारित राजनीती करना नहीं है। आज कोई भी पार्टी ऐसी नहीं है ,जो ,भ्रष्टाचार मुक्त हो। राजनीती पैसा कमाने व ताकत खरीदने का जरिया बन गया है ,नेता नौकरशाह ,उद्योगपतियों  के  बीच ऐसा समझौता बन गया है ,जिसने लोकतंत्र पर अपना कब्ज़ा जमा लिया ,इसकी वजह से आम आदमी का लोकतंत्र से भरोसा उठता जा रहा हैं।"अन्ना ने आंदोलन के दौरान कहा था कि जनता मालिक है और राजनेता सेवक ,लेकिन आज के हालात में मालिक सेवक हो गया है ,और सेवक मालिक बन बेठा है मौजूदा हालत में राजनीती जनता के नाम पर होती है लेकिन जीत के बाद जनता ही भुला दी जाती है। यह बात अरविंद बखूबी जान  चुके थे कि अब सिस्टम में बदलाव जरुरी हो गया हैं ,इसी एहसास ने लोंगो को सड़क पर उतरने और अरविंद का साथ देने पर मजबूर कर दिया। अन्ना के आंदोलन ने लोंगो को राजनीती का आइना दिखने का काम किया। आज दिल्ली में आम आदमी पार्टी लोंगो को एक उम्मीद का रास्ता दिखा रही है ,इसलिए दिल्ली विधानसभा चुनाव में खतरा दोनों पार्टी (कांग्रेस ,और  भारतीय जनता पार्टी ) को अपनी जमीन खिसकती दिख रही है। देखना है कि अरविंद के समर्थन में उठी आवाजें वोट में परिवर्तित हो पाती हैं या नहीं ?लेकिन जनता कि उम्मीदें जरुर इस पार्टी से हैं कि यह उनके हक़ में काम करेगी।
--सुगंधा झा                                                             

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