Tuesday 13 August 2013

ईमानदारी की सजा

                                                                                                                                                       

उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह क्या खनन माफिया के दबाव में सरकार चला रहे हैं? ऐसा नहीं है तो फिर आईएएस अफसर दुर्गा शक्ति नागपाल को ईमानदारी का यह सिला क्यों मिला.

उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार में नौकरी के दस महीने के भीतर ही निलंबित कर दिया गया. वो भी बिना कारण बताओ नोटिस के. स्थानीय नेता के एक फ़ोन कॉल ने एक ईमानदार अफसर को 41 मिनट के अंदर नौकरी से सस्पेंड करवा दिया.

सरकार का कहना है कि प्रशासनिक कार्यो में लोगों को बहस करने
की जरूरत नहीं है तो अखिलेश जी आप ही बताये कि आपने किस मुद्दे को लेकर एक ईमानदार अफसर को सस्पेंड किया.

देश में ईमानदारी के लिए बढ़िया ईनाम दिया जा रहा है ईमानदार अफसर को मरवा दो नहीं तो सस्पेंड कर दो.

आखिर देश किस राह पर जा रहा है. क्यों हमारे यहां की सरकार ईमानदार अफसर से डरती है. बिना किसी कारण ट्रान्सफर... ससपेंड कर दिया जाता है.

अधिकारियों को उनके कार्य में रुकावटें पैदा की जाती हैं. आखिर देश के हर राज्य में खनन माफियाओं से सरकार क्यों डरती है. सरकार और खनन माफिया के बीच कुछ और ही खिचड़ी पकती है.

उत्तर प्रदेश में पहले ही क्राइम क्या कम है. यहाँ पुलिस से लेकर आम जनता तक त्रस्त है और सरकार माफिया को खत्म करने के बजाय ईमानदार अफसर को ही सस्पेंड करती है. और कहती है कि सरकारी काम में दखलंदाज़ी न की जाय.

कैसे जनता सबकुछ जानते हुए चुपचाप सहती रहे. आप ही बताइए मुख्यमंत्रीजी.

सोशल मीडिया की वजह से आज एक ईमानदार अफसर के हक की लड़ाई लड़ी जा रही है. कुछ समय बाद कहेंगे कि ये सब विपक्ष का किया कराया है. जनता की आवाज सुनिए मुख्यमंत्रीजी.

-सुगंधा झा 


पूर्व प्रकाशित : http://www.topnewsindia.com/2013/08/blog-post.html?spref=fb

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